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Kavita Kosh से
दिन गुज़रते गये, रात होती रही
ज़िन्दगी खुदख़ुद-ब-खुद ख़ुद मात होती रही
प्यार की कोई खुशियाँ ख़ुशियाँ मनाता रहा
और आँखों से बरसात होती रही