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राख / कविता वाचक्नवी

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पाठ सुधार
|रचनाकार=कविता वाचक्नवी
}}
'''राख'''
 
 
राख
काली है
जलावन से बची है,
बुझ चुकी है,
किन्तु चिंगारी बचाकर
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