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'प्रभो! इस देश को सत्पथ दिखाओ / त्रयोदश सर्ग / गुलाब खंडेलवाल
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21:17, 14 जुलाई 2011
न कुम्हलाये, प्रभो! यह बाग़ मेरा
'विषमता, फूट,
अत्याचार
मिथ्याचार
, भागे
सभी का हो उदय, नव ज्योति जागे
विजित हों प्यार से तक्षक विषैले
दयामय! विश्व में सद्भाव फैले'
<poem>
Vibhajhalani
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