<poem>
तुम्हारी कविता मेंमन होता जबबहुत बारउदासहथेलियों के बीच…कविता पास आ जातीमरी तितलियों का रंग उतरता हैअनायासबहुत बारसूझती नहीं राहघायल मोर का पंखअँधेरा बहुत घना होतातुम्हारी कविता में रंग भरता जलती हैदिए -सीऊंचे आकाश मेंफैलता प्रकाशचिड़िया मासूम कोई जबबाज़ के पंजों में समाती होता हैशब्दों की बहादुरीहारा हुआ मनछाई होती -टूटन और थकनतुम्हारी कविता में भर जगाती आसबन जाती हैमेरी संवेदनाआस्था और विश्वास।जाने क्योंइन पन्नों पर जाती हुईशर्माती है।
</poem>