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विश्वास / सुरेश यादव

218 bytes removed, 15:17, 19 जुलाई 2011
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तुम्हारी मन होता जबबहुत उदासकविता मेंपास आ जातीअनायाससूझती नहीं राहअँधेरा बहुत बारघना होताहथेलियों के बीच…कविता जलती है दिए -सीमरी तितलियों का रंग उतरता फैलता प्रकाशजब होता हैबहुत बारहारा हुआ मनछाई होती -टूटन और थकनकविताजगाती आसबन जातीआस्था और विश्वास।  
तुम्हारी कविता में रंग भरता है
ऊंचे आकाश में
चिड़िया मासूम कोई जब
बाज़ के पंजों में समाती है
शब्दों की बहादुरी
तुम्हारी कविता में भर जाती है
मेरी संवेदना
जाने क्यों
इन पन्नों पर जाती हुई
शर्माती है।
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