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निर्वेद / गुलाब खंडेलवाल

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हम केवल बातें कर सकते हैं, करें
होना है जो होगा, भागें या डरें
सब कुछ कह देगी एक पंक्ति अखबार अख़बार की
 
यह तो कहो मरने के बाद कहाँ जायें!
इतना कुछ लेकर क्या शून्य में समायें!
सोयें क़यामत तक, उठकर भाग आयें!
कोई खबर ख़बर मिलती नहीं उस पार की
आओ कुछ बात करें घर-परिवार की
अपने-पराये की, नगद-उधार की
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