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अब तुम नौका लेकर आये / गुलाब खंडेलवाल
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20:42, 19 जुलाई 2011
जब लहरों में बहते-बहते हम तट से टकराये!
जब सब
और
ओर
अतल सागर था
सतत डूब जाने का डर था
तब जाने यह प्रेम किधर था
ये
उच्छ् वास
निःश्वास
छिपाये!
अब जब सम्मुख ठोस धरा है
Vibhajhalani
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