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Kavita Kosh से
जब इसने मस्ती में झूम-झूमकर गाया था,
उस समय उपवन में वसंत आया था,
किन्तु अब तो पतझर पतझड़ की वेला है राजकुमारी ने सारा दुःख दुख मन-ही-मन झेला है
कोयल से कह दो--
यों रसभरे बोल न सुनाये,