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Kavita Kosh से
*[[जीवन-संध्या में आज, पथिक तुम थके और हारे-से हो / गुलाब खंडेलवाल]]
*[[दम्भपूर्ण अधिकार, स्वार्थ या चिर अबाध वासना-विलास / गुलाब खंडेलवाल]]
*[[मना लूँ मन को तो , सजनी ! / गुलाब खंडेलवाल]]*[[सखी री समयसखी री! समय-समय की बात / गुलाब खंडेलवाल]]
*[[मधुप तुम भूले प्रीति पुरातन / गुलाब खंडेलवाल]]
*[[मधुकर यह उपवन क्यों भूले / गुलाब खंडेलवाल]]