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Kavita Kosh से
दूर देश से, मेघों-सी ही झंझानिल गति से चलकर?
नील तिमिरमय वसन तुम्हारा, बूँदें चल नूपुर -मणियाँ,
सुनता मैं रिमझिम आँगन में, प्रिये! तुम्हारी पग-ध्वनियाँ
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