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देखो कहाँ पर आ गया है मोड़ अपनी बात का / गुलाब खंडेलवाल
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20:35, 22 जुलाई 2011
हरगिज़ गुलाब! ऐसे न वे लगते गले से आपके
कुछ और ही जादू हुआ इस दर्द की
सौगा़त
सौग़ात
का
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Vibhajhalani
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