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अनन्त आलोक

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माँ के जाते ही बाप गैर हो गया , अपने ही लहू से उसको बैर हो गया , घर ले आया इक पति हंता नार को , आप ही कुटुंब पर कहर हो गया |
आपने तारीफ की हम खूबसूरत हो गये , आइना देखते हम खुद में ही खो गये , जाने क्या जादू किया आपके इल्फजों ने , निखर कर हम सोंदर्य की मूरत हो गये|