604 bytes added,
18:46, 1 अगस्त 2011 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=राजूरंजन प्रसाद
|संग्रह= }}
<poem>
ठीक ही कहते हैं अशोक जी
दो ही तो वर्ग हैं
आदमी के
इस भरी – पूरी दुनिया में
एक है सुविधाभोगी
और दूसरा है भुक्तभोगी
बताइए कि
किस वर्ग में
शामिल हैं आप
पूछता है -
हमारे कसबे का कवि
(21 .10. 2010)
</poem>