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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजूरंजन प्रसाद |संग्रह= }} <poem> ठीक ही कहते हैं अशो…
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{{KKRachna
|रचनाकार=राजूरंजन प्रसाद
|संग्रह= }}
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ठीक ही कहते हैं अशोक जी
दो ही तो वर्ग हैं
आदमी के
इस भरी – पूरी दुनिया में
एक है सुविधाभोगी
और दूसरा है भुक्तभोगी
बताइए कि
किस वर्ग में
शामिल हैं आप
पूछता है -
हमारे कसबे का कवि
(21 .10. 2010)
</poem>