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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुमार मुकुल }} <poem> शरीर तू है तो आत्मा की जय जय है …
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|रचनाकार=कुमार मुकुल
}}
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शरीर
तू है
तो आत्मा की
जय जय है
जो तू न हो तो
कोई कैसे कह सकता है
कि आत्मा
क्या शै है ...
</poem>
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|रचनाकार=कुमार मुकुल
}}
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शरीर
तू है
तो आत्मा की
जय जय है
जो तू न हो तो
कोई कैसे कह सकता है
कि आत्मा
क्या शै है ...
</poem>