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Kavita Kosh से
इंसां रोता है
जन - संशय
त्रासदी ओढ़कर
आगे आया है
महानाश का
विकट राग फिर
पल में नाश
पागल आंधी
आज उगाने होंगे-होंगे घर -घर में
युग के गांधी