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वीणा को यों तो हाथ में थामे हुए हैं हम / गुलाब खंडेलवाल
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20:49, 11 अगस्त 2011
वीणा को यों तो हाथ में थामे हुए हैं हम
फिर भी
सुना के
सुनाके
मौन सभा में हुए हैं हम
है प्यार यह न खेल ही फूलों का जान लें
Vibhajhalani
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