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<td align=center valign=top><font style="font-size:15px"><b>
जब कभी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती भाई एक लहर बन आया, बहन नदी की धारा है:<br>माँ दुआ करती हुई ख़्वाब में आ जाती संगम है, गंगा उमड़ी है, डूबा कुल किनारा है |<br>
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कविता कोश में [[मुनव्वर रानागोपाल सिंह नेपाली]]
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