Changes

पेंजई-1 / त्रिलोक महावर

3 bytes removed, 08:27, 13 अगस्त 2011
एक अर्से बाद जब होगा उन्हें अहसास
कि वे ग़लती पर थे
तब तक पेंजई<ref>पेंजई के फूल बसंत में खिलते हैं। इन फूलों की पंखुडि़यों में मानव के सिर का कंकाल डरावना दिखाई देता है। इन फूलों को देखते हुए लगता है मानो बगीचे में स्केल्टन ही स्केनल्टेन स्केल्टेन पंखुडि़यों पर छा गए हैं।</ref> के फूलों में
उभरे स्केल्टन हो चुके होंगे
हम।
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,379
edits