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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जगदीश व्योम }} <poem> ( हाइकु ) मरने न दो परंपराएँ कभी …
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{{KKRachna
|रचनाकार=जगदीश व्योम
}}
<poem>
( हाइकु )


मरने न दो
परंपराएँ कभी
बचोगे तभी।
</poem>