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|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
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[[category: ग़ज़ल]]
<poem>

आँखें भरी-भरी मेरी, कुछ और नहीं है
आँसू में है ख़ुशी मेरी, कुछ और नहीं है

एक ताजमहल प्यार का यह भी है दोस्तो!
है इसमें ज़िन्दगी मेरी, कुछ और नहीं है

जो चाहे समझ लीजिये, मरज़ी है आपकी
गाना है बेबसी मेरी, कुछ और नहीं है

क्यों फेर दी हैं उसने पँखुरियाँ गुलाब की
है इसमें दोस्ती मेरी, कुछ और नहीं है
<poem>
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