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Kavita Kosh से
ख़बर दुनिया को लेकिन कब निगाहे -नाज़ देती है
वो दिल नग्öमे नगमे सुनाने के लिये बेचैन रहता था
मगर हाथों में किस्मत बस शिकस्ता साज़ देती है