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सँभलकर राह में चलना वही पत्थर सिखाता है / कृष्ण कुमार ‘नाज़’
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02:41, 24 अगस्त 2011
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|रचनाकार=कृष्ण कुमार ‘नाज़’
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<poem>सँभलकर राह में चलना वही पत्थर सिखाता है
हमारे पाँव के आगे जो ठोकर बनके आता है
Shrddha
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