Changes

नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वीरेन्द्र खरे 'अकेला' }} {{KKCatGhazal}} <poem> गुज़रेंगे इस चम…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
गुज़रेंगे इस चमन से तूफ़ान और कितने
रूठे रहेंगे हमसे भगवान और कितने

अब हाल पर हमारे तुम हमको छोड़ भी दो
लेते फिरें तुम्हारे अहसान और कितने

नेता, वकील, पंडित, मुल्ला, समाज सेवक
बदलेगा रूप आखि़र शैतान और कितने

हमें तोड़ने की ख़ातिर, हमें लूटने की ख़ातिर
हमसे करेंगे आखि़र पहचान और कितने

आँसू, अभाव, विपदा, आहें, घुटन, हताशा
बदलेगी दिल की पुस्तक उन्वान और कितने

जो सुख नहीं रहे तो दुख भी नहीं रहेंगे
किसी एक घर रूकेंगे मेहमान और कितने

दिन की तरह कोई दिन निकले भी अब ‘अकेला’
होंगे तिमिर के बंदी दिनमान और कितने
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
3,286
edits