भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
मानी बादल,
तू भी उपर ही से सैन चलाता है!
तेरी बिजली राह दिखाती नहिं नहीं नई रे,
यह परम्परा तो तू भी न ढहाता है!
6
edits