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|रचनाकार=चंद्र रेखा ढडवाल
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}}
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कवि सुनो!
जितनी कविताएँ लिखना
उतने तुम पेड़ उगाना
बढ़ेंगे / फलेंगे पेड़
तो रहेंगी / कहेंगी कविताएँ
</poem>
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कवि सुनो!
जितनी कविताएँ लिखना
उतने तुम पेड़ उगाना
बढ़ेंगे / फलेंगे पेड़
तो रहेंगी / कहेंगी कविताएँ
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