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खा जाएगा गच्चा प्यारे ख़ुद को ज़रा सम्हाल / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
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14:35, 5 सितम्बर 2011
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खा जाएगा गच्चा प्यारे ख़ुद को ज़रा सम्हाल
काला नहीं दाल में भाई काली पूरी दाल
ठन ठन गोपाल
ठन ठन गोपाल
खा जाएगा गच्चा ........................
</poem>
Shrddha
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