गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
अजनबी खुद को लगे हम / श्रद्धा जैन
1 byte removed
,
10:39, 7 सितम्बर 2011
तुम से मिलकर जब बने हम
चाँद दरिया में खड़ा था
आसमाँ तकते रहे हम
सुबह को आँखों में रख कर
रात भर पल - पल जले हम
खो गए हम भीड़ में जब
फिर बहुत ढूँढे गए हम
इस ज़मीं से आसमां तक
था जुनूँ उलझे रहे हम
खो गए हम भीड़ में जब
फिर बहुत ढूँढे गए हम
जीस्त के रस्ते बहुत थे
लफ्ज़ जब उरियाँ हुए तो
फिर बहुत रुसवा हुए हम
चाँद दरिया में खड़ा था
आसमाँ तकते रहे हम
जागने का ख़्वाब ले कर
Shrddha
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
3,286
edits