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तुम से मिलकर जब बने हम
चाँद दरिया में खड़ा था
आसमाँ तकते रहे हम
सुबह को आँखों में रख कर
रात भर पल - पल जले हम
 
खो गए हम भीड़ में जब
फिर बहुत ढूँढे गए हम
इस ज़मीं से आसमां तक
था जुनूँ उलझे रहे हम
 
खो गए हम भीड़ में जब
फिर बहुत ढूँढे गए हम
जीस्त के रस्ते बहुत थे
लफ्ज़ जब उरियाँ हुए तो
फिर बहुत रुसवा हुए हम
 
चाँद दरिया में खड़ा था
आसमाँ तकते रहे हम
जागने का ख़्वाब ले कर
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