Changes

नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=घनश्याम कुमार 'देवांश' |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} <poem> सूरज …
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=घनश्याम कुमार 'देवांश'
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita‎}}
<poem>
सूरज के डूबने
और उगने के बीच
मैं तैयार कर लेना चाहता हूँ
रौशनी के मुट्ठी भर बीज
जिन्हें सवेरा होते ही
दफना सकूँ मैं
धरती के सबसे उर्वर हिस्से में


गोद लेना चाहता हूँ
कविता के कुछ नए शब्द
उम्मीद और ताकत से भरे हुए
जिन्हें आने वाली पीढ़ी
की नर्म हथेली पर
छोड़ सकूँ कंचन पाँख कि तरह


रो लेना चाहता हूँ
कुछ और गर्म आंसू
इससे पहले कि
दुनिया के सारे दुःख
सारी चिंताएं
और
कविताओं के लिए
सारे विषय समाप्त हो जाएँ...
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
3,286
edits