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Kavita Kosh से
जमाना क्यूं उसे कहता भला है
अगर वो आदमी इतना बुरा है
नगर में आग बरसी ही नहीं तो
उजाले उसको ही रौशन हैं करते
हमेशा जो अंधेरो से लड़ा है
तेरी तस्वीर जब भी देखता हूं
मुझे लागता है मेरा तू खुदा है
पता घर का न पूछा नाम उसका
ये चिठ्ठी कौन"आज़र" दे गया है
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