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बड़ी-सी अंगराई लेना चाहती है
पर तभी तुम हाथ बढ़ा देती हो
अंगुलियों उंगलियों में चाँदनी समेटे हुए
एक आख़िरी उम्मीद की तरह
<Poem>
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