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Kavita Kosh से
*[[तबीयत हमारी है भारी सुबह से / वीरेन्द्र खरे 'अकेला' ]]
*[[किस तरह पूरी हो घन की आरज़ू / वीरेन्द्र खरे अकेला ]]
*[[कौन कहता है की हम मर जाएँगे / वीरेन्द्र खरे 'अकेला ' ]]
*[[पीड़ा का व्यापार किसी के कहने पर / वीरेन्द्र खरे अकेला ]]
*[[रवि-किरणों से लड़ी हुई हैं नई कोंपलें ग़ज़लों की / वीरेन्द्र खरे अकेला ]]