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मौसम ठहर जाए / ओम निश्चल

14 bytes added, 04:07, 14 अगस्त 2013
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|रचनाकार=ओम निश्चल
|संग्रह=शब्दि शब्‍द सक्रिय हैं/ ओम निश्चल
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मेघ का, मल्हार का
मौसम ठहर जाए,
कुछ करो---यह प्यार का मौसम ठहर जाए।जाए ।
जल रहा मन आज
सुधियों के अंगारों में,
दर्द कुछ हल्कार हल्का हुआ है
इन फुहारों में,
रुप का, अभिसार का
मौसम ठहर जाए।जाए ।कुछ करो---यह प्यार का मौसम ठहर जाए।जाए ।
बादलों की गंध में
जीत का, यह हार का
मौसम ठहर जाए,
कुछ करो--यह प्यारर प्यार का मौसम ठहर जाए।जाए ।
तुम सुनाओं सुनाओ ग़ज़ल कोई
गीत हम गाऍं,
क्याह क्या पता हम-तुम
कहीं फिर दूर हो जाऍं,
मान का, मनुहार का
मौसम ठहर जाए,
कुछ करो---यह प्यार का मौसम ठहर जाए। जाए ।
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