भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मेघदूत-सा मन / ओम निश्चल

22 bytes removed, 18:03, 20 सितम्बर 2011
{{KKCatNavgeet}}
<Poem>
सॉंस तुम्हाeरी तुम्हारी योजनगंधा,
मेघदूत-सा मन मेरा है।
दूध धुले हैं पॉंव तुम्हाैरेतुम्हारे
अंग-अंग दिखती उबटन है
मेरी जन्मुकुंडली जिसमें
लिखी हुई हर पल भटकन है
कैसे चलूँ तुम्हाटरे तुम्हारे द्वारे
तुम रतनारी,हम कजरारे,
कमलनाल-सी देह तुम्हादरीतुम्हारी
देवदारु-सा तन मेरा है।
साँझ तुम्हें प्याररी प्यारी लगती है
प्रात सुहाना फूलों वाला
मुझे डँसा करता है हर पल
सूरज का रंगीन उजाला
कैसे पास तुम्हाजरे तुम्हारे आऊँ
चंचल मन कैसे बहलाऊँ
हँसी तुम्हाेरे तुम्हारे होठ लिखी है
दर्द भरा यौवन मेरा है।
बाधाओं के बीच गुजरना
तुमसे झूठ मुझे क्याा क्या कहना
सीमाओं का साथ तुम्हा‍रा
सैलानी जीवन मेरा है।
<Poem>
70
edits