<Poem>
भर गया
तेजाबतेज़ाब-सा कोईखुशनुमा ख़ुशनुमा माहौल में आकर।आकर ।
नींद में
हर वक्त वक़्त चुभता हैऑंधियों आँधियों का शोर--सन्नाटा
कटघरों में ज्यों- पड़े सोए
कैदियों क़ैदियों की पीठ पर चॉंटाचाँटा
तैरता
दु:स्वप्न-सा हर दृश्य
पुतलियों के ताल में अक्सर।अक्सर ।
सड़क पर
मुस्तैद संगीनें---
बंद अपने ही घरों में हम
आदमी की शक्ल शक़्ल में क़ातिल
कौन पहचाने किसी का ग़म
हर गली
हर मोड़ पर बैठी
मौत अपनी बॉंह बाँहे फैला कर।कर ।
बर्फबर्फ़-साजमता हुआ हर शख्सशख़्सचुप्पियों में कैद क़ैद हैं सॉंसेंसाँसें
समय की नंगी सलीबों पर
गले में अँटकी हुई फॉंसेंफाँसें
लिख रहे हैं
लोग कविताऍंकविताएँनींद की फिर गोलियॉं खाकर। गोलियाँ खाकर ।
<Poem>