भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दिन खनकता है / ओम निश्चल

3 bytes removed, 17:33, 29 सितम्बर 2011
खुल रहा मौसम
हवा में गुनगुनाहट और नरमी
धूप हल्केु हल्के पॉंव करती
खिड़कियों पर चहलकदमी
खुशबुओं-सी याद
70
edits