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फागुनी मस्ती / निशान्त

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{{KKRachna
|रचनाकार=निशान्त
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita‎}}<poem>मेरे आधुनिक कस्बे में
चंग पर
गीत गाए सिर्फ
परदेशी पल्लेदारों ने
फुटपाथिये दुकानदारों ने
ईन्ट भट्ठे के मजदूरों ने
रेलवे के बारहमासियों ने
नालियाँ साफ करने वाले लड़कों ने
कच्ची बस्ती की औरतों ने</poem>
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