भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

शब्द / मधुप मोहता

No change in size, 10:45, 11 अक्टूबर 2011
और बह निकलते हैं, अपने निर्बाध प्रवाह में।
तुम सामने बैठी रहती हो
आंखों में लिए एक प्रष्नप्रश्न, जिज्ञासु ?
वहां से प्रारंभ होती है कविता।
</Poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
8,152
edits