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14:48, 16 अक्टूबर 2011 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सांवर दइया
|संग्रह=आ सदी मिजळी मरै / सांवर दइया
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{{KKCatKavita}}
<poem>मैली हुई आ मन-झील बाबा
गाभां थकां उधाड़ो डील बाबा
कुण जाणै कद धुड़ जावै ओ घर
भींतां में रैवै नित सील बाबा
रास इत्ती ना ताणो सांस घुटै
दिरावो अब तो कीं ढील बाबा
ऐ दुख सोखता फिरै म्हानै इंयां
सोधै मांस जाणै चील बाबा
पासै री कांई किंयां ई पड़ै
सूक थारी थारी लील बाबा</poem>
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