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|रचनाकार=सांवर दइया
|संग्रह=आ सदी मिजळी मरै / सांवर दइया
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<poem>म्हारा सगळा ऐढा सर जावै
जे तूं एकर म्हारै घर आवै

पलक बीड़ जद करूं थांनै याद
ओळूं-उजास मन में भर जावै

भेळी-भेळी मत हो तूं मरवण
हाथ लगायां रूप निखर जावै

बिरछ सहारो ले आ बेल चढी
रूं-रूं में सौरम-सी भर जावै

ऐ सुपना है सुपनां रो कांई
रेत रै घर दांई बिखर जावै</poem>
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