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14:49, 16 अक्टूबर 2011 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सांवर दइया
|संग्रह=आ सदी मिजळी मरै / सांवर दइया
}}
{{KKCatMoolRajasthani}}
{{KKCatKavita}}
<poem>म्हारा सगळा ऐढा सर जावै
जे तूं एकर म्हारै घर आवै
पलक बीड़ जद करूं थांनै याद
ओळूं-उजास मन में भर जावै
भेळी-भेळी मत हो तूं मरवण
हाथ लगायां रूप निखर जावै
बिरछ सहारो ले आ बेल चढी
रूं-रूं में सौरम-सी भर जावै
ऐ सुपना है सुपनां रो कांई
रेत रै घर दांई बिखर जावै</poem>
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