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14:52, 16 अक्टूबर 2011 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सांवर दइया
|संग्रह=आ सदी मिजळी मरै / सांवर दइया
}}
{{KKCatMoolRajasthani}}
{{KKCatKavita}}
<poem>सांस सांस नै तळती चालै
जद आ बैरण बळती चालै
डौल सारू मिलै दाम अठै
चढती चालै ढळती चालै
सजी धजी आ सांवळी नार
रात है रात छळती चालै
हालण लागै हेली, जद आ
रीस रीस में रुळती चालै
प्रीत-जोत बुझै ना मिटै कदै
नित नुंवै रूप पळती चालै</poem>