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कुछ छोटी कविताएँ / महमूद दरवेश

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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=महमूद दरवेश|संग्रह= }}<poem>1.अगर लौट सकूं सकूँ शुरूआत तक कुछ कम अक्षर चुनूंगा चुनूँगा अपने नाम के लिए:: :: ::
2.
अगर जैतून के तेल जानते होते उन हाथों को
जिन्होनें रोपा था उन्हें,
आंसुओं आँसुओं में बदल गया होता उनका तेल :: :: :: 3.आसमान पीला क्यूँ पड़ जाता है शाम को ?क्यूँकि तुमने पानी नहीं दिया था फूलों में । 4.मैं भूल गया बड़ी घटनाएँ और एक विनाशकारी भूकंप याद है मुझे आलमारी में रखी अपने पिता की तम्बाकू ।
आसमान पीला क्यूं पड़ जाता है शाम को ?क्यूंकि तुमने पानी नहीं दिया था फूलों में5.:: :: ::  मैं भूल गया बड़ी घटनाएं और एक विनाशकारी भूकंप याद है मुझे आलमारी में रखी अपने पिता की तम्बाकू.:: :: ::  इतना छोटा नहीं हूँ कि बहा ले जाएं जाएँ मुझे शब्द इतना छोटा नहीं हूँ कि पूरी कर सकूं सकूँ यह कविता.</poem>
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