844 bytes added,
14:25, 21 अक्टूबर 2011 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सांवर दइया
|संग्रह=आखर री औकात / सांवर दइया
}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
{{KKCatKavita}}<poem>पोतड़ां कूड़ो
पण वातां करूं म्हैं
डोल-जळ री
०००
म्हैं देखो अठै
दुनिया री दुभांत
पीळै पोतड़ां
०००
बाथा भेटण
आगै बध पजग्यो
बै आक्टोपस
०००
कीं नीं निपजै
रोजीना हळ बावै
नाजर सांसां
०००
राजीपो हुयो
देख हरख्या लोग
मन में गांठ
०००
</poem>