Changes

रोता हुआ बकरा / शारिक़ कैफ़ी

1,600 bytes added, 12:25, 4 नवम्बर 2011
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शारिक़ कैफ़ी |संग्रह= }} {{KKCatNazm}} <poem> वो ...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=शारिक़ कैफ़ी
|संग्रह=
}}
{{KKCatNazm}}
<poem>
वो बकरा
मेरा मरियल सा बकरा
जिसे बबलू के बकरे ने बहुत मारा था वो बकरा
वो कल ख़्वाब में आया था मेरे
दहाड़े मार कर रोता हुआ
और नींद से उठ कर रोने लगा मैं
खता मेरी थी
मैंने ही लड़ाया था बबलू के बकरे से
उसे मालूम था पिटना है उसको
मगर फिर भी वो उस मोटे से जाकर भिड़ गया था
वो भी कुर्बानी से कुछ देर पहले
मगर पापा तो कहते हैं वो जन्नत में बहुत आराम से होगा
वहां अंगूर खाकर खूब मोटा हो गया होगा
तो क्यूँ रोता है वो ख़्वाबों में आकर
वो क्यूँ रोता है आकर ख़्वाब में ये तो नहीं मालूम मुझको
मुझे तो ये पता है
वो जब जब ख़्वाब में रोता हुआ आया है मेरे
तो अगले रोज़ बबलू को बहुत मारा है मैंने </poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
3,286
edits