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[[Category:ग़ज़ल]]
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नींव जो भरते रहे हैं आपके आवास की
ज़िन्दगी उनकी कथा है आज भी बनवास की
अनगिनत मायूसियों, ख़ामोशियों के दौर में
देखना ‘द्विज’, छेड़ कर कोई ग़ज़ल उल्लास की
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