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खुफिया कहानियां
हर डगर, हर पहर पर
बांहें फ़ैलाए--सैकडोंसैकड़ों-हजारों,
सीने से भेंटने
अनचाहे मिल जाती हैं,
छोरी में छोरे और छोरों में छोरियां,
रंडों में रंडियां,
ब्लाउज और साड़ी में कराते कराटे और पाप वाली
शहरी रणचंडियाँ
काल और अकाल
सब कुछ समेटे हुए
ज़िंदगी के ज्वार-भातेभाटे
गोद में दुलराती हैं,
पर, जब जी में आया हमें