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देखना भी चाहूँ / वेणु गोपाल

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|रचनाकार=राजा खुगशालवेणु गोपाल|संग्रह=संवाद के सिलसिले में
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न हो तो न सही
कोई तो 'पन' हो
जो भी जो है
वही ÷ 'वह' नहीं है
बस , देखने को यही है
और कुछ नहीं है
हां, यह सही है
वहीं से
देख पाऊंगा
दुख को दुखी
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