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कुछ काले कोट कचहरी के ।चल ततइया !
ये उतरें रोज़ अखाड़े में
सिर से भी ऊँचे भाड़े में
पूरे हैं नंगे झाड़े में
ये कंठ-लंगोट कचहरी के ।काट तन मोटी व्यवस्था काजो धकेले जा रही हैदेश का पइया !चल ततइया !
बैठे रहते मौनी साधे
गद्दी पै कानूनी पाधे
पूरे में से उनके आधे-
हैं आधे नोट कचहरी के ।छोड़ मीठा गुड़तू वहाँ तक उड़
छलनी कर देते आँतों को
अच्छे-अच्छों के दाँतों को
तोड़े सब रिश्ते-नातों को
ये हैं अखरोट कचहरी के । है जहाँ पर क़ैद पेटों में रुपइया !चल ततइया !! डंक कर पैनाचल बढ़ा सेना थाम तुरही, छोड़कर मीठा पपइया !!चल ततइया !!
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