गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
अन्वेषण / रामनरेश त्रिपाठी
No change in size
,
07:37, 7 दिसम्बर 2011
हैरान होके भगवन, आया हूँ मैं सरन में ।।
तू रूप
कै
की
किरन में सौंदर्य है सुमन में ।
तू प्राण है पवन में, विस्तार है गगन में ।।
Dkspoet
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits