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अन्वेषण / रामनरेश त्रिपाठी

No change in size, 07:37, 7 दिसम्बर 2011
हैरान होके भगवन, आया हूँ मैं सरन में ।।
तू रूप कै की किरन में सौंदर्य है सुमन में ।
तू प्राण है पवन में, विस्तार है गगन में ।।
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