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|संग्रह=मानसी / रामनरेश त्रिपाठी
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हे कृष्ण! अनेक बहाने,
::हम लेंगे तेरा नाम॥
आँखों के पावन जाल जल से।
मुसुकाहट के कल कल से।
सुख से आहों से दुख से।
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