Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachana |रचनाकार=शिवदीन राम जोशी {{KKCatRajasthan}} <poem> मान रे! ...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachana
|रचनाकार=शिवदीन राम जोशी
{{KKCatRajasthan}}
<poem>

मान रे! मान मान, मन मान।
कैसे भी तो मान मनन कर, धर मन उर में ध्यान।
क्या आनंद दुनियां में हेरे, राम नाम ले सांझ सवेरे,
परमानंद हृदय में खोजो, हैं अन्दर भगवान । (घट-घट में भगवान)
एक बार सौ बार हेरकर, खोज हृदय में नहीं देर कर,
मिल जायेंगे ब्रह्म राम हैं, सत्य करो पहचान।
लगा प्रीत कबहूं ना छूटे, राम नाम रस क्यंू ना लूटे,
जनम जनम आनंद मिलेगा, करो राम गुण गान।
शिवदीन सतगुरू प्यार देरहे, सब सारन का सार देरहे,
काया माया छलकर सबका, हर लेती है प्रान।
poem
515
edits